लोग आमतौर पर सावन मास में उत्तराखंड जाते हैं क्योंकि यह माह उन्हें आंतरिक शांति, स्वास्थ्य और ध्यान की विशेष महिमा का अनुभव कराता है। सावन मास, हिंदू पंचांग में वर्ष के चौथे मास के रूप में मान्यता प्राप्त है और इसे भगवान शिव के समर्पण का एक विशेष मास माना जाता है। उत्तराखंड धार्मिक एवं आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए विख्यात है और यहां के धार्मिक स्थलों में से कई भगवान शिव को समर्पित हैं।
सावन के माह में उत्तराखंड के यात्रियों का प्रमुख ध्येय होता है गंगाजी के पवित्र तटों और धार्मिक स्थलों की यात्रा करना। श्रद्धालु गंगा नदी के जल में स्नान करते हैं, जो उनके धर्मिक और स्पार्शिक शुद्धिकरण का संकेत माना जाता है। उत्तराखंड में इस माह में कई महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों पर मेले आयोजित किए जाते हैं, जहां लोग शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं, पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं।
इसके अलावा, सावन मास में बारिश का मौसम होता है जो पहाड़ी दृश्य, हरियाली और मौसम का मजा लेने के लिए आकर्षक बनाता है। यात्री जंगली प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने, घास के मैदानों पर ट्रेकिंग करने, पहाड़ी झरनों का दर्शन करने और पिकनिक करने के लिए यहां आते हैं। इसमें सब्जियों और फलों की खेती के लिए भी अनुकूल जलवायु होती है, जिसका मतलब खाद्य पदार्थों की उपलब्धता में वृद्धि होती है।
सावन मास में उत्तराखंड जाने का अन्य एक कारण है आध्यात्मिक अनुभव करना। यह माह आंतरिक शांति, मन की पवित्रता और चिंताओं से मुक्ति का माह होता है। अन्य सभी माहों की तुलना में, सावन मास में भक्ति, ध्यान और धार्मिक आयामों पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है।
इस प्रकार, यहां लोगों को अपने धार्मिक और आध्यात्मिक आयामों को संबोधित करने का मौका मिलता है, और उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता और आत्मीयता का आनंद उठाने का अवसर मिलता है।
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