चंद्रयान-3 एक भारतीय अंतरिक्ष मिशन है जिसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर अग्रसर होना है। इस मिशन के लिए एक उपग्रह और एक रोवर का इस्तेमाल किया जाएगा। चंद्रयान-3 इसके पूर्वज चंद्रयान-2 की सफलता पर आधारित होगा।
चंद्रयान-3 मिशन की शुरुआत एक उपग्रह के लॉन्च के साथ होगी। इसके लिए, एक पायलटेड रॉकेट जैसे जीएसएलवी-मार्क III (GSLV-Mk III) का उपयोग किया जाएगा। यह रॉकेट उपग्रह को पूरी गति पर चंद्रमा की ओर बढ़ाने के लिए धक्का देगा। इस रॉकेट में जीएसएलवी-मार्क III इंजन और स्थिर राउंड पेटरोलेम रॉकेट (S200) जैसे तीन पटाखों का उपयोग किया जाएगा। जीएसएलवी-मार्क III रॉकेट विश्व में अपनी शक्ति और प्रभाव के लिए प्रसिद्ध है।
चंद्रयान-3 अपने पायलटेड उपग्रह को चंद्रमा की ओर ले जाने के बाद, उपग्रह को सतह के पास ले जाने के लिए अपने इंजन का उपयोग करेगा। उपग्रह चंद्रमा की गुरुत्वाकर्षण को शांत करने के लिए एक शक्तिशाली इंजन के साथ होगा। यह उपग्रह चंद्रमा की इकाइयों के पास से तेजी से पास करेगा और बारंदा उपर उठेगा।
उपग्रह चंद्रमा के ग्राम्य नामकरण स्थान (Landing Site) के पास चढ़ाई करने के बाद, यह वहां से विमानन रोवर को छोड़ेगा। यह रोवर चंद्रमा की सतह पर गति से आगे बढ़ेगा और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए उपयुक्त स्थानों को चुनेगा। इस रोवर में विभिन्न प्रयोगशालाओं, इंस्ट्रुमेंट्स, कैमरे आदि का सुविधाजनक संग्रह होगा जिससे वैज्ञानिक अध्ययन किया जा सकेगा।
चंद्रयान-3 मिशन के दौरान, रोवर चंद्रमा की सतह पर गति से चलेगा और जीवित डेटा और छवियों को धरती पर भेजेगा। यह डेटा और छवियाँ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों को मदद करेंगी चंद्रमा के गुप्त रहस्यों को समझने में।
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