•उड़ान की तैयारी: चंद्रयान-3 मिशन की शुरुआत में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा उड़ान की तैयारी की जाती है। इसमें उड़ान के लिए यातायात, तकनीकी और वैज्ञानिक मंडलों की स्थापना शामिल होती है।
• प्रक्षेपण: चंद्रयान-3 अप्रैल 2023 के आसपास भारतीय अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान लेगा। यह उपग्रह इंजन के उपयोग से स्थानीय ग्रह में से बाहर धकेलेगा और अपने पथ में पड़े ग्रह की सतह पर आगमन करेगा।
उपग्रह
•स्थापना: चंद्रयान-3 के अपने आगमन के बाद, इसका उपग्रह यान चंद्रमा की सतह पर स्थापित किया जाएगा। यह वाहन सतह पर संकल्पित स्थान पर लंबे समय तक स्थानित रहेगा और वैज्ञानिक अध्ययनों के लिए अद्यतित डेटा भेजेगा।
वैज्ञानिक अनुसंधान: चंद्रयान-3 के उपग्रह की स्थापना के बाद, वैज्ञानिकों को चंद्रमा की सतह पर विभिन्न प्रयोगों और अनुसंधानों का प्रारंभ करने का अवसर मिलेगा। इसमें चंद्रमा की भूमि का अध्ययन, उसके भौतिकी गुणों का मापन, चंद्रमा के अंदर की संरचना का अध्ययन और अन्य वैज्ञानिक प्रयोग शामिल हो सकते हैं।
• डेटा संग्रह: चंद्रयान-3 मिशन के दौरान, उपग्रह संचालन केंद्र से चंद्रमा की सतह से प्राप्त डेटा को संग्रहित किया जाएगा। यह डेटा अधिकांशतः भूमि, अत्याधुनिक यंत्रों और उपकरणों के माध्यम से भेजा जाएगा।
• मिशन का समापन: चंद्रयान-3 मिशन का समापन होने पर, उपग्रह को सतह से हटाकर भारतीय अंतरिक्ष केंद्र में वापस लाया जाएगा। यहां पर उपग्रह का विश्लेषण किया जाएगा और प्राप्त डेटा की वैज्ञानिक विश्लेषण की जाएगी।
इस प्रकार, चंद्रयान-3 का मिशन क्रम सम्पन्न होगा और यह वैज्ञानिक अनुसंधान और चंद्रमा के बारे में नई जानकारी प्रदान करेगा।
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